[Advaita-l] Tripundra-mahatmyam explained very beautifully by Parama Gavopasaka, Srimaj-jagadguru

V Subrahmanian v.subrahmanian at gmail.com
Sat Aug 12 01:56:22 EDT 2023


Tripundra-mahatmyam explained very beautifully by Parama Gavopasaka,
Srimaj-jagadguru Dwaracharya, Sri Malook Pithadhishwar, Swami Sri
Rajendradas Devacharya ji Maharaj:

आप लोग कहेंगे ऊर्ध्वपुण्ड्र का इतना महत्त्व , त्रिपुण्ड्र का बिलकुल नहीं ।
हमारे कहने का आशय ऐसा नहीं समझ लेना । त्रिपुण्ड्र में भी बढी महिमा है ।
क्या महिमा है त्रिपुण्ड्र को ? सुन लो त्रिपुण्ड्रवाले । पूछे तिलक लगाते हो
, उसके भी महिमा है । पुण्ड्र माने होता उङ्गली । पुण्ड्र शब्द का अर्थ क्या
है संस्कृत में ? और त्रि माने तीन । त्रिवेदी ।

त्रिभिः पुण्ड्रैर्धार्यत इति त्रिपुण्ड्रः । तीन उङ्गलियों से जो धारण किया
जाये, उसको त्रिपुण्ड्र कहते हैं । तीन उङ्गली । ऐसे भस्म लिया , ऐसे ही लगाया
। ये भी पुराणों में श्लोक आया है । आदि ब्रह्मा । नीचेवाली जो पहली रेखा है
त्रिपुण्ड्र की , वो ब्रह्माजी का स्वरूप है । मध्यवाली रेखा विष्णु का स्वरूप
है । ऊपरवाली रेखा शिव का स्वरूप है । और जो बिन्दी है , वो भगवती पराम्बा
जगदम्बा आद्या शक्ति दुर्गा का प्रतीक है । इस तरह से ये सभी देवता इसमें आ
जाते हैं ।

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